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मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

रविवार, 10 मई 2015

अटूट रिश्ता .......

समाज अनेक रिश्तों का ताना-बाना है और इन रिश्तों की संवेदना एवं गहराई को  हर इंसान ने परिस्थितिओं एवं अपनी पीड़ा के अनुसार व्यक्त किया है ! रिश्ते और दौलत किसी की भी जिंदगी में एक एहम भूमिका रखते हैं, किसी के लिए दौलत ही जिंदगी बन जाती है तो कोई रिश्तों में ही जिंदगी ढूँढता है और किसी की यह चुनाव करने में ही जिंदगी निकल जाती है! मैंने कई बार  लोगों को कहते हुए सुना है कि पैसों के बिना जिंदगी नहीं चलती पर मेरा सवाल यह है कि क्या रिश्तों के बिना जीना संभव है, चाहे हम कितना भी ढोंग कर लें खुश रहने का लेकिन वास्तव में एक हल्का सा दर्द हमारे दिल में रह ही जाता है जो हमारे जीवन को पूरी तरह प्रभाबित कर देता है, यही बात है कि जब इंसान मृत्यु के करीब  होता है तो उसकी अंतिम इच्छा भी यही रहती है कि वह अपने सभी रिश्तेदारों से मिल ले ! ऐसे हज़ारों  किस्से हैं अगर आप इतिहास में झाँक कर देखें जो इस चीज़ को प्रमाणित करते हैं, अगर हम रामायण कि ही बात करें तो राजा दशरथ के पास धन-दौलत होने के बाबजूद भी वो पुत्र-बियोग में मर गया !
ऐसा ही एक रिश्ता है जिसके आगे धन-दौलत क्या विश्व की बड़ी से बड़ी मुल्यवान बस्तु भी कुछ नहीं है और वो रिश्ता है माँ का, मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर में माँ का  रिश्ता बहुमूल्य रहता है, संसार में ऐसा कोई  दर्द नहीं है जो माँ के आँचल में आकर  खतम नहीं होता, उसके लिए बेटा चाहे भारत का हो या पाकिस्तान का, सरहद पर जब किसी सिपाही कि मौत होती है तो उसका ह्रदय डर से कांप जाता,
जिसके पास माँ है वो संसार का सबसे धनी आदमी है, और जिसके पास माँ नहीं है और वो चाहे कितने भी बड़े घर में रहता है वो  संसार का सबसे अकेला और गरीब आदमी है, हम अपने पिता से कई चीज़ें छुपा देते है जबकि माँ से सारी चीज़े बता देते है क्यूंकि हम जानते है कि यहाँ अगर हमसे कोई गलती हुई है तो डाँट के बाद माफ़ी तो मिल ही जायेगी ! हम पिता से अनेको ही झूठ बोलते हैं मगर उन्हें पता नहीं चलता जबकि माँ से जब हम झूठ बोलते हैं तो वह एक ही नज़र में पहचान जाती है कि बच्चा झूठ बोल रहा है, शायद वो इसलिए कि माँ ही एक ऐसा रिश्ता है जो बच्चों के सबसे करीब होता है, हम जिंदगी में छोटी -२ चीज़े या ख्वाहिशे पूरी होने के कारण खुद कि किस्मत को या ऊपर बाले को कोसते हैं, लेकिन कभी यह उन बच्चों के बारे में नहीं सोचते जिनकी माँ के मर जाने से उनकी इच्छाएं,खुशियाँ और तमाम वो हसरतें खाख हो गयी है जो माँ के जिन्दा होने पर जिन्दा थीं,

इस पर मुझे कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं:

“खामोशियों कि बज़ह पूछोगे तो समंदर में तूफ़ान आएगा ,
 किनारे नहीं रोक पायेंगे लहरों को सारा शहर तबाह हो जायेगा,
 इसलिए मुझे खामोश ही रहने दो क्यूंकि अभी – अभी ही तो मैंने संभालना सीखा है”

ना दो मुझे झूठी तसल्ली कि सब कुछ ठीक हो जायेगा,
यह जख्म तो  बहुत गहरा है जो ताउम्र मुझे रुलाएगा,

 अब तो एक बेजान सा पुतला हो गया हूँ तेरे बगैर माँ,
 अगर जरा सी भी चिंगारी लगी मेरे सीने में तो जल जाऊँगा,
इसलिए मुझे खामोश ही रहने दो क्यूंकि अभी – अभी ही तो मैंने संभालना सीखा है”


 प्रदीप सिंह

गांव –औच ,डाकघर –लाह्डू, तहसील – जयसिंह पुर, जिला – काँगड़ा , हिमाचल प्रदेश : 8894155669
Email: rana.pradeep83@gmail.com

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