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हमारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................
शनिवार, 13 नवंबर 2010
सच की तरफ मेरा पहला कदम.................: निकलता है आज भी वो चाँद ,पर चांदनी उसकी अब नहीं दि...
सच की तरफ मेरा पहला कदम.................: निकलता है आज भी वो चाँद ,पर चांदनी उसकी अब नहीं दि...: "निकलता है आज भी वो चाँद ,पर चांदनी उसकी अब नहीं दिखती गिरती है अब भी बर्फ पहाड़ों में ,पर वो सफेद चादर अब नहीं दिखती , है मोहल्ले में बच्चे ..."
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