All Rights are Reserved


मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

एक हादसा और सही ..........................

ये रिश्ते भी कुछ अजीव होते हैं ,और अगर कोई हादसा हो जाये तो ज्यादा करीब खींचते हैं |
पर हादसों में रिश्तों को पहचानना मुश्किल होता है ,
इसलिए जिसको नहीं जानते हैं उसके लिए थोडा दर्द कम होता है|
आज एक हादसा फिर हुआ है , पर खुदा का शुक्र है उसमें अपना कोई जख्मी नहीं हुआ है ,
सुना है बम फटा है उस बस में जिसमें मैं रोज जाता था ,
और मर गया है वो शख्स जो उस शीट पर बैठा हुआ था ,
"थेंक गोड" मैं आज ऑफिस नहीं गया ,किस्मत अच्छी थी शायद इसलिए बच गया |
आज फिर कुछ लोग लाल चौक पर इक्कठा हो रहे हैं ,
क्या है हमारी सुरक्षा इसलिए सरकार के खिलाफ नारे मार रहे हैं |
मैं हमेशा की तरह उनको देखकर रूक गया ,
पर इन हादसों में अपना कोई नहीं था ये सोचकर फिर निकल गया ,
शायद मैं इंतज़ार कर रहा था , मन में यह सोच रहा था क़ि चलो "एक हादसा और सही "
अरे ये लोग आज पागल क्यों हो गए है जो भागे जा रहे हैं ,
लेकिन , "अरे  यह किसका बेटा है" क्यों चिल्ला रहे हैं ,
लगता है आज फिर एक हादसा हुआ है ,पर इस बार कोई और नहीं मेरा बेटा मरा है |
आज मैं अपने बेटे क़ि लाश को सीने से लगये रो रहा हूँ ,
मरे थे जो लोग हादसों में ,उनके अपनों के दर्द को महसूस कर रहा हूँ|
सोच रहा हूँ क़ि मुझे उस समय बोलना चाहिए था ,
हुआ था जब हादसा पहली बार उसे रोकना चाहिए था ..........................................

                                                                                       प्रदीप सिंह (एच .पी. यू.)

2 टिप्‍पणियां:

  1. अभी-अभी मौन के ऊपर एक छोटा सा लेख पढ़, महाभारत के लेखन का अंश था, उसमें मौन रहने को कहा गया था. और आपकी इस कविता को पढ़कर लगता है जैसे मौन रहना गलत है...
    आखिर करें भी तो क्या...

    जवाब देंहटाएं
  2. aapka ye lekh pad kar bahut accha laga...

    apko dhulayi krne ka mann kr raha hai..


    ik janani...

    जवाब देंहटाएं