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मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

रविवार, 9 अगस्त 2015

अधूरे सपने ...............

”काफी सिरे दफ़न हैं जिंदगी के जो अभी तलाशने हैं,
टूटे पड़े  हैं जो धागे रिश्तों के वो धागे अभी जोड़ने हैं .............
  मगर जिन्दगी कम है ” प्रदीप” और जो अधूरे हैं सपने वो सपने पूरे करने हैं,
क्या कहूँ कि इस दिल में कितने खंज़र उतरे हैं,
जब भी सामना हुआ है अपनों से तब-२ आँखों से आंसू निकले हैं,”

प्रदीप सिंह

गांव –औच ,डाकघर –लाह्डू, तहसील – जयसिंह पुर, जिला – काँगड़ा , हिमाचल प्रदेश : 8894155669
Email: rana.pradeep83@gmail.com

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