काफी नज़रों को आस्मां से गुफ्तगुह करते देखा है मैने,
और काफी लाशों को युहीं हवा में तैरते हुए देखा है,
मरने बाले तो पहले ही घर से मुर्दा बनके निकलते हैं,
यहाँ आकार तो सिर्फ मुझे बदनाम करते हैं,
काफी आशिकों को मरते देखा है अबतक मैंने,
प्यार करने का अजीव तरीका देखा है उनका मैंने,
अब तो आदत सी हो गई है ये सब देखते-२ मुझको,
काफी चीखों और सिसकिओं को करीब से सुना है मैंने,
क्या खूब हैं यह पुतले भी, जो जिंदगी को यूँ जलाते हैं,
कभी किसी को चाह कर तो कभी किसी की चाह में जिंदगी गंवाते हैं,
खुद तो दुनिया से रुखसत हो जाते हैं और दाग मुझपर लगा जाते हैं,”
प्रदीप सिंह राणा I
पता: गांव-ओच, डाकघर-लाहडू, तहसील – जयसिंहपुर, जिला –काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश. 8894155669
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