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मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

ऐ जिंदगी अगर तू खुशी न देती तो शायद गम क्या है मुझे पता न चलता.....

"ऐ जिंदगी अगर तू खुशी न देती 
तो शायद गम क्या है मुझे पता न चलता....."
आज छालों का एहसास कम है और मिटटी का  बजन भी कम लग रहा  है......
आज बाजुओं में ताकत बहुत है और  हथौड़े की चोट के आगे पत्थर भी डर रहा है....

मुझे कल की फ़िक्र नहीं और न ही पीछे का कुछ याद रहा  है ...............

मैं हर दर्द को भुलाकर बस  आज  में जीना चाहता हूँ , 

आज दिवाली है बस इसे अपनों  के साथ मानना चाहता हूँ......”
                                                
             प्रदीप सिंह .........कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
     
      


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