All Rights are Reserved


मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

बादल आ गए.........................



प्रदीप सिंह (चुन्नू) काँगड़ा 

सदियों बाद बारिश हुई मेरे घर पर
 बादल तो कब से घुट रहे थे 
भीगा था आंसुओं से बदन मेरा 
वो से बारिश का पानी समझ रहे थे ,
 वयां कर दिया हाल - ए- दिल उनसे हमने
 वो इसे एक अच्छी कहानी समझ रहे थे  ,
  सोया उस रात तो कभी उठा नहीं
 वो इसे शराब का नशा समझ  रहे थे  ,
जब उठा धुआं आसमान में मेरी चिता से 
तो वो मुस्कुराकर वोल उठे
 लगता है फिर से बादल बरसात के आ गए ..................................................


                                                        प्रदीप सिंह (एच . पी. यू. ) शिमला समर हिल I
                                                        जिला - काँगड़ा, गाँव -ओच
                                                         9459278609

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें