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मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

सफ़र

होसलों पर  उड़ान भरने का हुनर सीख  ले ,
    अपने अन्दर के दुश्मन को मारकर  लड़ने का हुनर सीख ले ,
 पैमाना  हसरतों का टूट न जाये युहीं ,
        हसरतों को जिन्दा रखने का हुनर सीख ले,
बची  रहे हर झोंपड़ी की छत ,
    बनकर हिमालय  तूफ़ान से लड़ने का हुनर सीख ले,
 रहे  बुलंद आवाज़  शोषण के खिलाफ  हमेशा ,
     इंसानों से महोबत करने का हुनर सीख ले,
   मिलेगा सुकून  हर काम के बाद ,
                ग़मों को छुपाकर खुश रहने का हुनर सीख ले,
  मोती युहीं नहीं मिलता जमीन पर पड़ा हुआ, 
     समंदर   में डुबकी लगाने का हुनर सीख ले ,
    मात्र भीड़ इकठा करने से जंग जीती नहीं जाती ,
     लोगों को  लड़ने के तरीके सीखाने का हुनर सीख ले,
    अँधेरा रहे न किसी की जिन्दगी  में, 
      रात को चीरकर  सुबह  के सूरज से मिलने का हुनर सीख ले,
    सफ़र  युहीं न गुज़र जाये जिन्दगी का इसी कशमकश में ,
    मजबूरी के सब बाँध तोड़कर इंक़लाब करने का हुनर सीख ले,

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