महोबत करने बाले कम न होंगे मगर तेरी महफ़िल में हम न होंगे ,
लोग बजायेंगे तालियाँ जरूर पर वो हाथ हमारे न होंगे ,
गाये जायेंगे गीत बहुत पर वो साज न होंगे ,
होगी भीड़ बहुत तुम्हारे चाहने वालों की पर उस भीड़ में हम न होंगे ,
हर जाम तुम्हारे होंठों को छूने के लिए बेताब होगा ,
नशा तुम्हारी आँखों में मेरे नाम का होगा ,
जुबान खुद गबाही देगी हमारी महोबत का ,
तेरी महफिल में भी चर्चा मेरे नाम का होगा ---------------
प्रदीप सिंह (एच . पी.यू .)
bahut achhe bhai...
जवाब देंहटाएंlove you yaar!