गली के उस मकान में अब कोई
अजनबी रहता है , कोई पागल है यह जमाना कहता है ,
मैं भी उस रोज जब गली से
गुज़रा तो देखा बो आदमी हाथ में कुछ सिक्के लिए था और बार बार उनको गिन रहा था उसके
बदन पर कपडे काफी पुराने थे और बाल काफी लंबे हो गए थे मैं कुछ समझ नहीं पाया कि
वह ऐसा क्यूँ कर रहा है मेरे मन में यह सवाल बार बार उठ रहा था मैं घर पहुंचा और
बाबा से उस आदमी के बारे में पूछा और कहा बाबा वो गली के पराने से मकान में पागल
कौन है ...............
तो बाबा ने गुस्से से कहा
बह पागल नहीं है इतना गुस्से से पहले मैंने कभी भी बाबा को कहते हुए नहीं देखा था और फिर
कहा बेटा बह श्याम है काफी होनहार लड़का था यह बात पन्द्रह साल पहले की है जब तुम पांच बर्ष के थे श्याम
पड़ने में बहुत ही तेज था और हमेशा अब्बल नम्बर पर आता था इसी मुहल्ले में एक लड़की
रहती थी जिसका नाम संगीता था वो दोनों साथ पड़ते थे और अच्छे दोस्त थे जैसे जैसे वो
बड़े होते गए वो एक दूसरे को पसंद करने लगे, एक दिन अचानक यह खबर मिली कि श्याम के
माता पिता एक बस दुर्घटना में मारे गए, उस पर तो मानो पहाड टूट पड़ा और बह अकेला रह
गया , मुझे याद है वो दिन जब श्याम घर के एक कोने में अकेला बैठा था और रो रहा था
आंसू तो मानो उसकी आँखों से थमने का नाम नहीं ले रहे थे, जब मेने उसके सर पर हाथ
रखा तो वो मुझसे इस तरह लिपटा कि मुझे छोड़ने का नाम न ले, अब उसका कोई दुनिया में
था तो सिर्फ संगीता थी, लेकिन एक दिन पता चला कि संगीता कि शादी मुखिया के बेटे के
साथ हो गई जो काफी अमीर था , जब श्याम ने संगीता से बात करने कि कोशिश कि तो उसने
कहा तुम्हारे पास है ही क्या जो मैं तुझसे शादी करू और उसने कुछ सिक्के बैग से
निकाले और श्याम की मुटठी में बंद कर दिए और कहा इन्हें रखो तुम्हारे काम आएंगे,
मेरे ज़हन में उस समय यह शव्द घूम रहे थे
कि ..........
“गरीबी मिट गई या गरीब मिट गए ,
जुर्म खत्म हो गया या जुर्म सहन करने बाले चुप हो गए,
बस मुटठी भर अरमान थे बो भी चंद सिक्कों में बिक गए” ..........
इस सदमें को श्याम
सहन नहीं कर सका और मोहल्ला छोड़ कर न जाने कहाँ चला गया , अभी पांच सालों के बाद लौटा तो श्याम मर चुका था जो
कभी होनहार और हंसमुख हुआ करता था अब तो यह जिन्दा लाश है जो उस लड़की के दिए हुए
सिक्कों को बार बार गिनता रहता है, इन पांच सालों में मेने कई बार संगीता को देखा
लेकिन कभी भी बह श्याम को देखने नहीं आयी, यह सब सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ, एक दिन
दोपहर खाना खाने के बाद गर्मिओं में जब हम सोए हुए थे तो गली में काफी शोर शराबा सुनाई
दिया जब मेने बाहर जाकर देखा तो काफी लोगों का हजूम खड़ा था मैं भी देखने के लिए
दौड़ा जब आगे जाकर मैंने देखा तो श्याम सड़क पर पड़ा था और खून से लथपथ था पूछने पर
पता चला की गाड़ी के नीचे आने पर इसकी मौत हो गई जब मैंने उसके हाथों की तरफ देखा
तो उसके दाहिने हाथ की मुटठी बंद थी , मैंने काफी कोशिश के बाद मुटठी खोली तो देखा
मुटठी में कुछ सिक्के थे जिनको उसने मरने के बाद भी नहीं छोड़ा था,
किसी ने सच ही कहा
है.....
“कि चले थे बाजार में प्यार खरीदने के लिए पर सिक्के कम पड़ गए उसे अपना बनाने के
लिए”
दोस्तों पैसा तो हम
कभी भी कमा सकते है लेकिन प्यार नहीं............................
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