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मारे इर्द-गिर्द लाखों घटनाएँ रोज घटती हैं और अगर हम उनको किसी के साथ न बांटें तो ये हमारे अंदर घुटन पैदा करती हैं ,आज मैनें यह सोचा की
क्यों न अपने अंदर पैदा होने बाली इस घुटन को
बाहर निकालूं और कुछ लिखूं ताकि आने बाला कल ये जान सके की सच क्या है ................

बुधवार, 15 जून 2011

काश हमारी जिन्दगी एक जंगल बुक होती

काश हमारी जिन्दगी एक  जंगल बुक होती और हम सब जंगली जानबर होते .
भागीरा हमारा सरदार और मोगली ,भालू हमारे  दोस्त होते ,
जंगल हमारा घर होता और हमसब रिश्तेदार होते, 
मुसीबत आती अगर किसी पर तो सब मिलके लड़ते ,
दर्द होता अगर किसी को तो दर्द सब मिलके बांटते ,
 काश  हम जंगली जानबर होते ,जंगल हमारा घर और सब अपने रिश्तेदार होते ......................
                                             प्रदीप सिंह (एच. पी यू.) .

 

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